हर घर-परिवार में भी मनाया जाये 'महेश नवमी उत्सव'
Mahesh Navami means the origin day of Maheshwari community, it is also called Maheshwari Vanshotpatti Diwas. Mahesh Navami is the biggest festival of the Maheshwari community. According to the Hindu calendar, every year, the Navami of the Shukla Paksha of the month of Jyeshtha is celebrated with the celebration of "Mahesh Navami". This festival is mainly dedicated to the worship of Lord Mahesha (God of Gods Mahadev) and the Goddess Parvati.
According to traditional belief, the lineage of the Maheshwari origin was done on Jyeshtha Shukla Navami of Yudhishtir Samvat 9, Since then, Maheshwari community has celebrated Jyeshtha Shukla Navami every year with the name of "Mahesh Navami" as the day of origin of the community. Religious and cultural events are performed on this day. This festival reveals complete devotion and faith to Lord Mahesha and Goddess Parvati. It is the most important day in all this community people where several cultural events and rallies are arranged together to make unity and dignity amongst all. The main motto is to spread message of Sarve Bhavantu Sukhinah.
हरएक माहेश्वरी परिवार और हरएक माहेश्वरी संगठन की संयुक्त भागीदारी से मनाई जाये "महेश नवमी"
समाजबंधुओं, माताओ और बहनो, जैसा की हम सब जानते है की माहेश्वरी समाज अपने वंशोत्पत्ति दिवस को "महेश नवमी" के नाम से समाज के सबसे बड़े वार्षिक पर्व के रूप में मनाता है, जो इस वर्ष 3 जून 2017 को है. महेश नवमी का यह पर्व किसी एक माहेश्वरी संगठन का कार्यक्रम (प्रोजेक्ट) नहीं है बल्कि समस्त माहेश्वरी समाज का पावन पर्व है इसलिए महेश नवमी का उत्सव हरएक माहेश्वरी परिवार और हरएक संगठन की संयुक्त भागीदारी से मनाया जाना चाहिए. इस पावन पर्व को मनाने के लिए हरएक शहर स्तर पर "महेश नवमी उत्सव समिति" बनाकर इस समिति के मार्गदर्शन और नेतृत्व में महेश नवमी उत्सव के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए."
महेश नवमी उत्सव समिति" की रूपरेखा-
अपने-अपने शहर में माहेश्वरी समाज के लिए कार्य करनेवाले जितने भी सामाजिक संगठन है (युवा मंच, युवा संगठन, प्रगति मंडल, महिला मंडल, युवती मंडल, बहु मंडल, युवा संगठन, महासभा का शहर संगठन, महेश सेवा संघ, महेश परिवार आदि जितने भी माहेश्वरी सामाजिक संगठन है) इन सभी संगठनों के अध्यक्ष और सचिव को लेकर (शामिल कर के) 'महेश नवमी उत्सव समिति' का गठन किया जाये. यह समिति महेश नवमी उत्सव के आयोजक के रूप में कार्यक्रम की रुपरेखा बनाकर इस पर्व पर होनेवाले कार्यक्रम का संचालन करें. इस पर्व के कार्यक्रमों में मुख्य रूप से शोभायात्रा और महेशजी की महाआरती हो.
महेश नवमी के कार्यक्रम के लिए "महेश नवमी उत्सव समिति" के कार्यकर्ता-पदाधिकारी समाज के हरएक घर-परिवार पर जाकर उनसे राजीखुशी से दिया जानेवाला आर्थिक योगदान (दानराशि) जमा करें, उन्हें ससम्मान महेश नवमी कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करें (कार्यक्रम का खर्च किसी एक व्यक्ति या कुछ गिने चुने व्यक्ति या परिवार द्वारा ना करें बल्कि प्रतिवर्ष हरएक घर-परिवार से दानराशि जमा करके ही महेश नवमी का उत्सव और कार्यक्रम मनाया जाये). महेश नवमी के दिन समाजभोज (समाज के सामूहिक भोजन का आयोजन ना किया जाये बल्कि अपने-अपने घर पर मिष्टान्न बनाकर दोपहर में महेश-पार्वतीजी को भोग लगाकर प्रसादी ग्रहण करें). महेश नवमी के कार्यक्रम पत्रिका, मुख्य बैनर (banner), शोभायात्रा में किसी एक संगठन के नहीं बल्कि समाज के निशान (symbol) "मोड़" और समाज के ध्वज "दिव्यध्वज" का प्रयोग (use) किया जाये.
हर घर-परिवार में भी मनाया जाये 'महेश नवमी उत्सव'
माता-बहनों से बिनम्र अनुरोध है की महेश नवमी के दिन दोपहर में अपने-अपने घर पर माहेश्वरी समाज के उत्पत्तिकर्ता, हमारे समाज के इष्टदेव भगवान महेशजी तथा महेश परिवार की सपरिवार पूजा-अर्चना करें, उन्हें भोग बताएं और आरती करें. इस दिन शिव-चालीसा, महेश मानस पूजा, महेशाष्टक का पाठ करें. पंचनमस्कार महामंत्र तथा महेशजी का अष्टाक्षर मंत्र "ॐ नमो महेश्वराय" का जाप करें. अपने परिवार के सुख-समृद्धि के लिए महेशजी-माता पार्वती-गणेशजी से प्रार्थना करें.
बिनम्र अनुरोध-
महेश नवमी के पर्व पर अलग-अलग माहेश्वरी संगठन अपने-अपने संगठन की ओरसे समाजहितकारी कार्यक्रमों (जैसे की- जेष्ठ समाजबंधुओं/बुजुर्गों का सत्कार, स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर आदि...) का आयोजन करें. महेश नवमी के पावन पर्व पर महेश नवमी उत्सव समिति द्वारा आयोजित शोभायात्रा आदि कार्यक्रमों में सभी समाजबंधु, माता-बहनें, बच्चे-युवा-बुजुर्ग, परिवार का हरएक सदस्य हर्ष-उल्हास के साथ उपस्थित रहे.
-महेशाचार्य प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी (पीठाधिपति, माहेश्वरी अखाड़ा)