सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं !
नवरात्रि है माँ दुर्गा की भक्ति का पर्व...
'नवरात्रि' शक्ति (देवी) को समर्पित पर्व है। नवरात्री के नौ दिन देवी के नौ स्वरुपों की भी पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। दुर्गा वास्तव में शिव की पत्नी पार्वती (शक्ति) का एक रूप हैं, जिसकी उत्पत्ति राक्षसों का नाश करने के लिये देवताओं की प्रार्थना पर पार्वती ने लिया था।
देवी पार्वती के ही पर्यायवाची नाम है - शक्ति, दुर्गा। वेदों, उपनिषदों,
पुराणों तथा विभिन्न शास्त्रों में इसी शक्ति को देवी, महादेवी, शिवा
(शिवानी), अम्बा, जगदम्बा, भवानी, चामुण्डा, शक्ति, आदिशक्ति, पराशक्ति,
जगतजननी, सर्वकुलमाता, माँ, त्रिपुरसुंदरी, माया, महामाया, आदि-माया,
भगवती, महेश्वरी तथा मूलप्रकृति आदि नामों से भी जाना गया है।
शास्त्रों में वर्णन आता है की 'शिव' बिना उनकी शक्ती के, शव हैं और
'शक्ति' बिना शिव के शून्य है। शिव के बिना शक्ति का कोई अस्तित्व नहीं और
शक्ति के बिना शिव शव के समान है। शिव और शक्ति एक दूसरे के बिना अधूरे
है। जहां शिव हैं वहां शक्ति का निवास है और जहां शक्ति है वहीं शिव भी
विराजमान हैं। शिव और शक्ति, महेश और पार्वती एकदूजे में समाहित है। दोनों एक है जैसे अग्नि और अग्नि की दहिका शक्ति... अर्धनारीश्वर रूप इसी
शिव-शक्ति स्वरुप का प्रतीक है।
नवरात्री में शक्ति की, दुर्गा की
पूजा-आराधना तो की जाती है लेकिन शिव (महादेव / महेश) को पूजा-आराधना में
स्थान नहीं देने से पूजा-आराधना अधूरी रह जाती है। नवरात्रि में शक्ति/दुर्गा पूजा में महादेव का पूजन भी अनिवार्य है। सच्ची श्रद्धा से
महादेव-पार्वती या 'महेश परिवार' स्वरुप में नवरात्रि की आराधना करने से
आरोग्य, भौतिक सम्पदा, ऐश्वर्य, गुणवान जीवनसाथी, संतान, सौभाग्य,
दीर्घायु, मनोकामनापूर्ति, पूर्णत्व, इष्ट प्रत्यक्षिकरण ये सभी के सभी
प्राप्त होते है।
जय भवानी - जय महेश !
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