माहेश्वरीयों के विवाह की विधियों का सीधा सम्बन्ध जुड़ा हुवा है महेश नवमी से | Maheshwari Vivah Ki Vidhiyan Sidhi Judi Hui Hai Mahesh Navami Se | Reference: Book – Maheshwari, Utpatti Evam Sankshipt Itihas

The Marriage Rituals of Maheshwaris are Directly Related to Mahesh Navami


In the Maheshwari community, in the Mangal Karaj (marriage), Bindraja performs the marriage rituals by wearing Mod and Katyar and in the tradition of taking the rounds, four rounds are taken 'outside' which are called 'Barla Phera' (outside rounds). In the Maheshwari community, the method of wearing Katyar and Mod in the marriage ceremony and the method of taking rounds outside is directly related to the incident of Mahesh Navami i.e. Maheshwari Vanshotpatti Diwas. Know... how?


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माहेश्वरी समाज में लड़का (बींदराजा) क्यों 'मोड़' और 'कट्यार' धारण करके विवाह की विधि संपन्न करता है? माहेश्वरी समाज को छोड़कर अन्य किसी भी समाज में विवाह की विधि में बाहर के फेरे (बारला फेरा) नहीं लिए जाते है तो माहेश्वरीयों में क्यों बाहर के फेरे लिए जाते है? बाहर के फेरों की संख्या चार (4) ही क्यों है? चार की यह संख्या किसने तय की थी?

माहेश्वरी समाज में मंगल कारज (विवाह) में बिन्दराजा मोड़ और कट्यार (कटार) धारण करके विवाह की विधियां संपन्न करता है तथा फेरे लेने की परंपरा में चार फेरे 'बाहर' लिए जाते है जिन्हे 'बारला फेरा' (बाहर के फेरे) कहा जाता है. माहेश्वरी समाज में विवाह की विधि में कट्यार और मोड़ पहनने, बाहर के फेरे लेने के विधि का सीधा सम्बन्ध जुड़ा हुवा है महेश नवमी अर्थात माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिवस की घटना से! जानिए... कैसे?

माहेश्वरी वंशोत्पत्ति की वह बात- "माहेश्वरी वंशोत्पत्ति कथा के अनुसार, जब ऋषियों के श्राप के कारन पत्थरवत (मृत) पड़े हुए राजकुंवर सुजानसेन और 72 उमरावों की पत्नियों की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान महेशजी ने श्रापग्रस्त राजकुंवर सुजानसेन और 72 क्षत्रिय उमराओं को शापमुक्त किया और इसी कड़ी में आगे उन 72 उमराओं को कहा की- सूर्यकुंड में स्नान करने से तुम्हारे सभी पापों का प्रायश्चित हो गया है तथा तुम्हारा क्षत्रितत्व एवं पूर्व कर्म भी नष्ट हो गये है. यह तुम्हारा नया जीवन है इसलिए अब तुम्हारा नया वंश चलेगा. तुम्हारे वंशपर हमारी छाप रहेगी. देवी महेश्वरी (पार्वती) के द्वारा तुम्हारी पत्नियों को दिए वरदान के कारन तुम्हे नया जीवन मिला है इसलिए तुम्हे 'माहेश्वरी' के नाम से जाना जायेगा. इसके बाद उन 72 उमरावों में अपनी स्त्रियों (पत्नियोंको) को स्वीकार करने को लेकर असमंजस दिखाई दिया. उन्होंने कहा की- हमारा नया जन्म हुवा है, हम तो “माहेश्वरी’’ बन गए है पर ये अभी क्षत्रानिया है. हम इन्हें कैसे स्वीकार करे. तब माता पार्वती ने कहा तुम सभी स्त्री-पुरुष हमारी (महेश-पार्वती) चार बार परिक्रमा करो, जो जिसकी पत्नी है अपने आप गठबंधन हो जायेगा. इसपर राजकुवरानी ने पार्वती से कहा की- माते, पहले तो हमारे पति क्षत्रिय थे हथियारबन्द थे तो हमारी और हमारे मान की रक्षा करते थे अब हमारी और हमारे मान की रक्षा ये कैसे करेंगे? तब पार्वती ने सभी को दिव्य कट्यार (कटार) दी और कहाँ की अब तुम्हारा कर्म युद्ध करना नहीं बल्कि वाणिज्य कार्य (व्यापार-उद्यम) करना है लेकिन अपने स्त्रियों की और मान की रक्षा के लिए सदैव 'कट्यार' (कटार) को धारण करेंगे. मै शक्ति स्वयं इसमे बिराजमान रहूंगी. तब सब ने कटार को धारण करके महेश-पार्वति की चार बार परिक्रमा की तो जो जिसकी पत्नी है उनका अपनेआप गठबंधन हो गया. तभी से माहेश्वरीयों में विवाह के समय बाहर के चार फेरे (बारला फेरा) लेने की परंपरा चल रही है.


माहेश्वरी समाज के उत्पत्ति के समय हुई उस बात की याद सदैव रहे इसलिए चार फेरे बाहर के लिए जाते है (वर्तमान समय में 'महेश-पार्वती' की तसबीर के बजाय मामा फेरा के नाम से चार फेरे लेने का रिवाज कहीं कहीं पर देखा जा रहा है लेकिन यह अनुचित है. सही परंपरा का पालन करते हुए 'महेश-पार्वती' की तसबीर को चार बार परिक्रमा (चार फेरे) करके ही यह विधि संपन्न की जानी चाहिए). विवाह की विधि में 'बारला फेरा' (बाहर के फेरे) लेने की विधि मात्र माहेश्वरी समाज में ही है. इस तरह से इस विधि का सीधा सम्बन्ध माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिवस (महेश नवमी) से जुड़ा हुवा है (देखें Link > माहेश्वरी वंशोत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास) जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी, परंपरागत रूप से माहेश्वरी समाज मनाता आया है. अन्य किसी भी समाज में यह विधि (बारला फेरा/बाहर के फेरे) नहीं है.

विवाह से जुडी इसी परंपरा के एक अन्य रिवाज के अनुसार, सगाई में लड़की का पिता लडके को मोड़ और कट्यार भेंट देता है इसलिए की ये बात याद रहे- "अब मेरे बेटी की और उसके मान की रक्षा तुम्हे करनी है". बिंदराजा को विवाह की विधि में वही मोड़ और कट्यार धारण करनी होती है (वर्तमान समय में इस परंपरा/विधि को भी लगभग गलत तरीके से निभाया जा रहा है. विवाह के विधि में धारण करने के लिए एक या दो दिन के लिए कट्यार किरायेपर लायी जा रही है. यह मूल विधि के साथ की जा रही अक्षम्य छेड़छाड़ है जो की गलत है. इस विधि के मूल भावना को समझते हुए इसे मूल या पुरानी परंपरा से अनुसार ही निभाया जाना चाहिए).


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महेश नवमी -
प्रतिवर्ष, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को "महेश नवमी" का उत्सव मनाया जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से भगवान महेश (महादेव) और माता पार्वती की आराधना को समर्पित है. ऐसी मान्यता है कि, युधिष्टिर संवत 9 ज्येष्ठ शुक्ल नवमी के दिन भगवान महेश और आदिशक्ति माता पार्वती ने ऋषियों के शाप के कारन पत्थरवत् बने हुए 72 क्षत्रिय उमराओं को शापमुक्त किया और पुनर्जीवन देते हुए कहा की, "आज से तुम्हारे वंशपर (धर्मपर) हमारी छाप रहेगी, तुम “माहेश्वरी’’ कहलाओगे".

भगवान महेशजी के आशीर्वाद से पुनर्जीवन और "माहेश्वरी" नाम प्राप्त होने के कारन तभी से माहेश्वरी समाज ज्येष्ठ शुक्ल नवमी (महेश नवमी) को 'माहेश्वरी उत्पत्ति दिन (स्थापना दिन)' के रूप में मनाता है. इसी दिन भगवान महेश और माता पार्वती की कृपा से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई इसलिए भगवान महेश और माता पार्वती को माहेश्वरी समाज के संस्थापक मानकर माहेश्वरी समाज में यह उत्सव 'माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिन' के रुपमें बहुत ही भव्य रूप में और बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन शोभायात्रा निकाली जाती हैं. यह पर्व भगवान महेश और पार्वती के प्रति पूर्ण भक्ति और आस्था प्रगट करता है. माहेश्वरी समाज का सबसे बड़ा पर्व है- महेश नवमी !

Lord Mahesha - First Adorable (प्रथम आराध्य) Of Maheshwaris & Maheshwari Community | According To Maheshwari Vanshotpatti Katha/Story | Mahesh Navami | The Eternal | Sanatana | Lord Shiva

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According to Sanatan Dharma, Indian mythology and Maheshwari belief Mahesh-Parvati are not two different or separate deities/god-goddess, they are one and the same.


Maheshwara/Maheshwar (महेश्वर) and Mahesh (महेश) is the name of Lord Shiva's Sagun and Sakar form. Maheshwar and Mahesh mean the same. Mahesh is the short name of Maheshwar. Mahesh is made up of two words Maha and Ish (Ishwar), their meanings are respectively great and lord. The meaning of name Mahesh is supreme/highest power. Mahesh means God of Gods (Sanatan, Brahmandnayak, Maheshwar, Devadhidev or Mahadev). People of Maheshwari community worship Lord Shiva in the form of Sagun, Sakar and Household deity and in the name of Lord Mahesh (Lord Mahesha). Lord Mahesh is the first worshiper of Maheshwaris. According to the Maheshwari Vanshotpatti Katha/Story (origin story of Maheshwari community), the Maheshwari dynasty was born with the grace and blessings of Lord Mahesha (Lord Shiva) and Goddess Parvati (Goddess Maheshwari). Lord Mahesha and Goddess Parvati are the founders of Maheshwari community. And so, Lord Mahesha is the Supreme Being and First Adorable in Maheshwarism. Maheshwarism means Maheshwaritva. Lord Mahesha is the Supreme God and First Adorable (प्रथम आराध्य) of Maheshwaris and Maheshwari community. Maheshwaris believe that Lord Mahesha is All and in all, the creator, preserver, destroyer, revealer and concealer of all that is. He is not only the creator in Maheshwarism, but he is also the creation that results from him, he is everything and everywhere. Mahesha is the primal Self, the pure consciousness and Absolute Reality in the Maheshwaritva traditions.

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महेश्वर (Maheshwara/Maheshwar) और महेश (Mahesh) भगवान शिव के सगुण और साकार रूप के नाम है। महेश्वर और महेश का मतलब एक ही है. महेश्वर का संक्षिप्त नाम "महेश" है। महेश दो शब्दों 'महा' और 'ईश (ईश्वर)' से मिलकर बना है, इनके अर्थ क्रमशः महान और भगवान हैं। महेश नाम का मतलब सर्वोच्च शक्ति होता है। महेश का अर्थ है देवों के देव (सनातन, ब्रह्माण्डनायक, महेश्वर, देवाधिदेव या महादेव)। माहेश्वरी समाज के लोग भगवान शिव को सगुण, साकार और गृहस्थ देवता के रूप में तथा भगवान महेश के नाम से पूजते हैं। भगवान महेश माहेश्वरीयों के प्रथम पूज्य है, प्रथम आराध्य है। माहेश्वरी वंशोत्पत्ति कथा (माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति कथा) के अनुसार भगवान महेशजी और देवी पार्वती (देवी महेश्वरी) की कृपा और आशीर्वाद से ही माहेश्वरी वंश की उत्पत्ति हुई, माहेश्वरी वंश की शुरुवात हुई। भगवान महेशजी और देवी पार्वती ही माहेश्वरी समाज के संस्थापक है। इसलिए, भगवान महेश माहेश्वरीयों और माहेश्वरी समाज के सर्वोच्च देवता और प्रथम आराध्य हैं। माहेश्वरीयों का मानना ​​है कि भगवान महेश ही सर्वस्व हैं, सर्वव्यापी हैं, जो कुछ भी है उसके निर्माता, संरक्षक, विध्वंसक, प्रकटकर्ता और छुपाने वाले हैं। माहेश्वरीत्व/माहेश्वरीवाद में वे न केवल सृजक हैं, बल्कि उनसे उत्पन्न रचना भी हैं, वे ही सब कुछ और सर्वत्र हैं। माहेश्वरीत्व परंपराओं में महेश आदिम स्व, शुद्ध चेतना और पूर्ण वास्तविकता हैं।

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Lord Mahesha is also known by the names Shiv, Mahadev etc. Only Lord Mahesha (Lord Shiva) is the Sanatana (The Eternal). Lord Mahesha is one of the principal deities of Sanatan Dharma. He is the Supreme Lord (Supreme God) who creates, protects and transforms the universe. In the Sanatana tradition, the Supreme Goddess, Devi Maheshwari (Parvati/Adishakti) is regarded as the energy and creative power (Shakti) and the equal complementary partner of Lord Mahesha.


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भगवान महेश को शिव, महादेव आदि नाम से भी जाना जाता है। भगवान महेश (शिव) ही एकमात्र सनातन है। भगवान महेश सनातन धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वह सर्वोच्च भगवान हैं जो ब्रह्मांड की रचना, सुरक्षा और परिवर्तन करते हैं। सनातन परंपरा में, सर्वोच्च देवी, देवी महेश्वरी (पार्वती/आदिशक्ति) को ऊर्जा और रचनात्मक शक्ति और भगवान महेश की समान पूरक भागीदार माना जाता है।


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When the stories in Indian mythology unfurl, we are faced with a different emotion altogether–how every detail is woven into perfection to let us peek into the lives our ancestors have led before. Even the love stories in Indian mythology show us how love held such an important place in everyone’s lives.

Lord Mahesha and Goddess Parvati are one of the most famous couples in our universe. They are known to represent the masculine and feminine parts of God. The Both of them deeply loved each other and they also got married. That since their love is no bounds, they are become one entity/unit. And so, Indian mythology hails Mahesh-Parvati the greatest couple forever. According to Indian mythology and Maheshwari belief Mahesh-Parvati are not two different or separate deities/gods, they are one and the same.

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जब भारतीय पौराणिक कथाओं की कहानियाँ सामने आती हैं, तो हमें पूरी तरह से एक अलग भावना का सामना करना पड़ता है - कैसे हर विवरण को पूर्णता में बुना जाता है ताकि हम अपने पूर्वजों के जीवन को देख सकें। यहां तक ​​कि भारतीय पौराणिक कथाओं में प्रेम कहानियां भी हमें दिखाती हैं कि कैसे प्यार ने हर किसी के जीवन में इतना महत्वपूर्ण स्थान रखा है।

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भगवान महेशजी और देवी पार्वती (देवी महेश्वरी) हमारे ब्रह्मांड में सबसे प्रसिद्ध जोड़ों में से एक हैं। वे भगवान के मर्दाना और स्त्री भागों का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाने जाते हैं। दोनों एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं और उन्होंने विवाह भी किया। चूँकि उनके प्यार की कोई सीमा नहीं है, वो दोनों मिलकर एक इकाई है। और इसलिए, भारतीय पौराणिक कथाओं में महेश-पार्वती को हमेशा के लिए सबसे महान और आदर्श जोड़ा माना गया है। भारतीय पौराणिक कथाओं और माहेश्वरी मान्यता के अनुसार, महेश-पार्वती दो अलग-अलग देवता नहीं हैं, वे एक ही हैं।

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Lord Mahesha has many aspects, he is benevolent as well as destructive. In benevolent aspects, he is depicted as an omniscient yogi who lives an ascetic life on Mount Kailash and is also a householder with his wife Parvati and his two children, Ganesha and Kartikeya. In his fierce aspects, he is often depicted slaying demons. Lord Mahesha is also known as Adiyogi (the first Yogi), Adiguru (the first Guru/Teacher), regarded as the patron god of yoga, meditation, knowledge and arts.

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भगवान महेश के कई पहलू हैं, वे कल्याणकारी भी है और विनाशकारी भी। कल्याणकारी पहलुओं में, उन्हें एक सर्वज्ञ योगी के रूप में दर्शाया गया है जो कैलाश पर्वत पर एक तपस्वी जीवन जीते हैं और साथ ही अपनी पत्नी पार्वती और अपने दो बच्चों, गणेश और कार्तिकेय के साथ एक गृहस्थ भी हैं। अपने उग्र पहलुओं में, उन्हें अक्सर राक्षसों का वध करते हुए चित्रित किया गया है। महेश को आदियोगी (प्रथम योगी), आदिगुरु (प्रथम गुरु/शिक्षक) के नाम से भी जाना जाता है, उन्हें योग, ध्यान, ज्ञान और कला का संरक्षक देवता माना जाता है।

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Lord Mahesha (Shiva) is one of the five equivalent deities in Panchayatana puja of the Smarta tradition of Sanatana (Hinduism). The Smarta tradition (Panchayatan puja) is notable for the worship of the five deities "Ganesha, Mahesha (Shiva), Shakti (Parvati/Durga), Vishnu and Surya" in the home puja ghar. In this, all these five deities are considered equal and in the worship room of the house, all the five deities are worshiped daily by keeping their first worshiped deity in the middle. Panchayatan puja is also given priority in Maheshwari community and Maheshwari tradition.

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भगवान महेश (शिव) सनातन (हिंदू धर्म) की स्मार्त परंपरा की पंचायतन पूजा में पांच समकक्ष देवताओं में से एक हैं। पंचायतन पूजा परंपरा घरेलु पूजा घर में पांच देवताओं "गणेश, महेश (शिव), शक्ति (पार्वती/दुर्गा), विष्णु और सूर्य" की पूजा के लिए उल्लेखनीय है। इसमें इन सभी पांचों देवताओं को समान माना जाता है और घर के पूजाघर में अपने अपने प्रथम आराध्य देवता को मध्य में रखकर पांचों देवताओं दैनिक/नित्य पूजा की जाती है। माहेश्वरी समाज और माहेश्वरी परंपरा में भी पंचायतन पूजा को प्राथमिकता दी जाती है।

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जय गणेश, जय महेश, जय माँ महेश्वरी

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