गौरव पर चोट अपने आखिर कैसे सहते,
हम महेशजी के वंशज चुप कैसे रहते l
हम महादेवी की संताने चुप कैसे रहते ll
नीलकंठ के बाशिंदे हम,
विष को कंठ में है धरते l
विषपान सा निज अपमान,
सहते है हम हसते हसते ll
आदिशक्ति ने आशीष दिया,
और जिसे महेश ने है जाया l
देवाधिदेव के वरदान से,
माहेश्वरी वंश निर्माण हुवा ll
आंच जो आये स्व-गौरव पर,
आँख दिखाए दिन समझकर l
वार जो हो माहेश्वरी नाम पर,
हाथ पर हाथ धरे कैसे रहते ll
गौरव पर चोट अपने आखिर कैसे सहते,
हम महेशजी के वंशज चुप कैसे रहते l
हम महादेवी की संताने चुप कैसे रहते ll
– महेशाचार्य योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी
हम महेशजी के वंशज चुप कैसे रहते l
हम महादेवी की संताने चुप कैसे रहते ll
नीलकंठ के बाशिंदे हम,
विष को कंठ में है धरते l
विषपान सा निज अपमान,
सहते है हम हसते हसते ll
आदिशक्ति ने आशीष दिया,
और जिसे महेश ने है जाया l
देवाधिदेव के वरदान से,
माहेश्वरी वंश निर्माण हुवा ll
आंच जो आये स्व-गौरव पर,
आँख दिखाए दिन समझकर l
वार जो हो माहेश्वरी नाम पर,
हाथ पर हाथ धरे कैसे रहते ll
गौरव पर चोट अपने आखिर कैसे सहते,
हम महेशजी के वंशज चुप कैसे रहते l
हम महादेवी की संताने चुप कैसे रहते ll
– महेशाचार्य योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी
(पीठाधिपति, माहेश्वरी अखाडा)
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