Right thinking creates right mindset, think about it
- Maheshacharya Yogi Premsukhanand Maheshwari
Just like Rajput means Lion, same as Maheshwari means Elephant. Elephant is also a symbol of Lord Ganesha, son of Lord Shiva (Lord Mahesha). Just like Ganesha is the son of Lord Shiva, similarly, since Maheshwari community was founded by Lord Mahesha, Maheshwari people also consider themselves to be the son of Lord Mahesha, consider themselves to be the descendants of Lord Mahesha. That's why Maheshwari people celebrate the origin day of Maheshwari community as name of Mahesh Navami.
जैसे राजपूत माने शेर, वैसे ही माहेश्वरी माने हाथी. भगवान गणेश का प्रतिक भी है हाथी. जैसे गणेशजी भगवान शिव (भगवान महेशजी) के पुत्र है, वैसे ही भगवान महेश द्वारा माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति होने के कारन माहेश्वरी लोग भी स्वयं को भगवान महेश की संतान मानते है, भगवान महेश का वंशज मानते है. इसीलिए माहेश्वरी समाज के लोग माहेश्वरी समाज के उत्पत्ति दिवस को महेश नवमी के नाम से मनाते है.
मानवीय व्यवहार (जीवनशैली) और विचारधारा पर किये गए कई अनुसंधानों में पाया गया है की हरएक व्यक्ति के व्यवहार तथा उसकी विचारधारा पर जिन महत्वपूर्ण बातों का प्रभाव पड़ता है उनमें से एक है- मान्यताएं. व्यक्ति बचपन से लेकर जिन मान्यताओं के बारें कहीं पढ़ता-सुनता है उन मान्यताओं का प्रभाव आजीवन उसके स्वभाव, व्यवहार और विचार में झलकता है. पढ़ी-सुनी हुई मान्यता सही हो तो उसका सकारात्मक प्रभाव जीवन पर पड़ता है, गलत (जो सही नहीं है) उस मान्यता का असर व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक रूप में दिखाई देता है.
एक ऐसी ही गलत मान्यता हम बचपन से पढ़ते-सुनते आये है- "शेर जंगल का राजा है". वास्तव में जंगल में चुनाव तो होते नहीं है तो फिर शेर को राजा किसने बनाया? या 'शेर जंगल का राजा है" ऐसा कहने-बताने की आवश्यकता क्यों पड़ी? इसका उद्देश्य व्यक्ति के सामने नेतृत्व (लीडरशिप) के गुणों को विकसित करने के लिए एक मिसाल (उदाहरण) रखना था जो की व्यक्ति के लिए एक 'प्रेरणा' देने का काम करें. शक्तिशाली, बलशाली, शुर-वीर, साहसी बनने के लिए प्रेरणा मिले यही एक उद्देश्य था/है. लेकिन ऐसी प्रेरणा देने के लिए 'शेर' का चुनाव करना और उसे 'राजा' के रूप में प्रस्तुत करना उचित नहीं था, उचित नहीं है. शेर को जंगल का राजा बताना इतिहास की एक सबसे बड़ी भूल है क्यों की इसके कारन शेर की क्रूरता का, हिंसक स्वभाव का भी महिमामंडन होता है (अनजाने में यह सन्देश जाता है की नेतृत्व (लीडर) को क्रूर और हिंसक होना होता है; और फिर इसका प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार और विचारों में झलकता है). एक 'राजा' के जो मुख्य गुण माने जाते है उनमें सबसे पहला गुण होता है की- 'राजा' प्रजा का संरक्षण करनेवाला होना चाहिए, राजा ऐसा हो की उसकी उपस्थिति में प्रजा खुद को सुरक्षित अनुभव करे, 'राजा' दुष्टों-आतंकियों से प्रजा के जान-माल का रक्षण करने में सक्षम हो. इस पहली कसौटी में ही 'शेर' खरा नहीं उतरता है. इन सभी कसौटियों पर खरा उतरता है- हाथी. हाथी में वह सभी गुण, वह सभी विशेषताएं है जो की एक राजा में होनी चाहिए. हाथी ही है जंगल का असली राजा; शेर तो आतंकवादी है, राजा नहीं.
प्राचीनतम साहित्य में हाथी के लिए 'गजराज' इस सम्बोधन का प्रयोग किया गया है. 'गज' अर्थात हाथी और 'राज' अर्थात जिसका राज (शासन) चलता हो. 'शेरराज' शब्द कहीं नहीं आता है, 'गजराज' यह शब्द आता है; इसका अर्थ है की प्राचीनतम समय से ही शेर को नहीं बल्कि हाथी को ही जंगल के राजा के रूप में मान्यता है. तो सही मान्यता यही है की- जंगल का राजा है "हाथी". Elephant is the king of forest.
Elephant is the king of the forest.
Lion is a terrorist, not king.
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