Maheshwari people do not know that for them the day of Mahesh Navami is like the day of Diwali/Mahalakshmi Pujan. How? To know this, read the entire article and open the given links.
Maheshacharya Yogi Premsukhanand Maheshwari: The foundation day or origin day of Maheshwari community is called Mahesh Navami. Mahesh Navami is the day on which Lord Mahesha (Lord Shiva) not only established the Maheshwari society but also ordered the newly formed Maheshwari society to work (career) in the field of trade and industry. This is the day of Mahesh Navami when Mahesh-Parvati gave a boon/blessing to the Maheshwari community, to the people of Maheshwari community, that you Maheshwari people will be very blessed in business and industry, you will always be the owner of wealth. The wealth that we people of Maheshwari community get, the progress and benefit that we have in business are due to the blessings of Mahesh-Parvati, their boon. For the people of Maheshwari community, the day of Mahesh Navami is like the day of Mahalakshmi Pujan in Diwali Parv, but unfortunately the Maheshwari people have forgotten this and have also forgotten the importance of this lucky day of Mahesh Navami. We Maheshwari people have almost given up worshiping Mahesh-Parvati on the day of Mahesh Navami to ensure prosperity in wealth and business-industry. And perhaps the result of this is that the Maheshwari community, which was once the biggest contributor to the economy of the country and the world, has lagged behind and is struggling today. Many Maheshwari people, especially the new young generation, do not even know why we people of Maheshwari community celebrate the festival of Mahesh Navami. What is the relation between the people of Maheshwari community and Mahesh Navami? And due to lack of information about this, many Maheshwari people neither celebrate the festival of Mahesh Navami nor participate in the programs of Mahesh Navami. The enlightened and intellectual people of Maheshwari society should be aware and work towards changing this situation.
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माहेश्वरी समाज के लोगों को पता ही नहीं है की उनके लिए महेश नवमी का दिन एक तरह से दीपावली /महालक्ष्मी पूजन के दिन जैसा है। कैसे? इसे जानने के लिए पूरा लेख पढ़े और दी गई Links को खोलकर देखें।
माहेश्वरी समाज के स्थापना दिवस या उत्पत्ति दिवस को महेश नवमी कहा जाता है। महेश नवमी वह दिन है जिस दिन भगवान महेश जी ने ना सिर्फ माहेश्वरी समाज की स्थापना की बल्कि इस नए बने माहेश्वरी समाज को आदेश दिया की आप व्यापार उद्योग के क्षेत्र में कार्य (करियर) करें। यही वह "महेश नवमी" का दिन है जब महेश-पार्वती ने माहेश्वरी समाज को, माहेश्वरी समाज के लोगों को वरदान/आशीर्वाद दिया की आप माहेश्वरी लोगों को व्यापार उद्योग में खूब बरकत रहेगी, आप सदैव धन सम्पदा के स्वामी रहेंगे, श्रेष्ठ (सेठ) कहलायेंगे। हम माहेश्वरी समाज के लोगों के पास जो धन सम्पदा आती है, हमें व्यापार में जो बरकत है वो महेश-पार्वती के आशीर्वाद से है, उनके वरदान से है। लेकिन दुर्भाग्य से माहेश्वरी लोग इस बात को भूल गए है और महेश नवमी के इस भाग्यशाली दिन के महत्व को भी भुला चुके है। धन सम्पदा और व्यापार उद्योग में बरकत रहे इसलिए महेश नवमी के दिन महेश पार्वती की पूजा आराधना करना हम माहेश्वरी लोगों ने लगभग छोड़ दिया है। और शायद इसीका परिणाम है की एक समय में देश दुनिया के अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान देनेवाला माहेश्वरी समाज आज पिछड़ गया है, संघर्ष कर रहा है। कई माहेश्वरी लोगों को, खासकर नई युवा पीढ़ी को तो यह भी मालूम नहीं है की हम माहेश्वरी समाज के लोग महेश नवमी का त्योंहार क्यों मनाते है? माहेश्वरी समाज के लोगों का और महेश नवमी का क्या सम्बन्ध है? और इसी बात की जानकारी ना होने से अनेको माहेश्वरी लोग ना तो महेश नवमी का त्योंहार मनाते है और ना महेश नवमी के कार्यक्रम में शामिल होते है। माहेश्वरी समाज के प्रबुद्ध एवं बुद्धिजीवी लोगों को इस स्थिति को बदलने के प्रति जागरूक होकर कार्य करना चाहिए।
Very very IMP info, see link > जानिये, माहेश्वरी समाज अपने समाज का उत्पत्ति दिवस "महेश नवमी" बड़े धूमधाम और भक्तिभाव से क्यों मनाता है? क्या है इस उत्सव की खास बात !
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