हरएक माहेश्वरी को यह पूरी पोस्ट जरूर पढ़नी चाहिए... | Very IMP | जानिए, माहेश्वरीयों के कुलदेवता और वंशदेवता के बारे में | Mahesh Navami | Maheshwari Samaj | Maheshacharya Premsukhanand Maheshwari

Every Maheshwari must read this entire post, Know about the family deities and lineage deitie of Maheshwaris...


Maheshacharya Yogi Premsukhanand Maheshwari : Mahesh Navami is the day to celebrate the origin of a new dynasty named Maheshwari, created by the blessing of Bhagwan Maheshji (Lord Mahesha / Lord Shiva). Maheshwari community and Maheshwari people celebrate this holy day as Maheshwari Vanshotpatti Diwas and in the name of Mahesh Navami with great devotion and pomp. Mahesh Navami is considered to be the biggest festival of Maheshwari community. The festival of Mahesh Navami expresses the full reverence and devotion of the Maheshwaris towards the lineage deity of Maheshwaris, Bhagwan Maheshji and Adishakti Goddess Parvati.


know-about-the-kuldevata-kuldevi-and-vanshdevata-of-maheshwaris-on-mahesh-navami-info-by-maheshacharya-premsukhanand-maheshwari

भगवान महेशजी के वरदान से निर्मित हुए माहेश्वरी नाम के एक नए वंश की उत्पत्ति का उत्सव मनाने का दिन है महेश नवमी। इसी पावन दिन को माहेश्वरी समाज और माहेश्वरी लोग माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिवस के रूप में तथा महेश नवमी के नाम से श्रद्धाभाव के साथ और बड़े ही धूमधाम से मनाते है। महेश नवमी यह माहेश्वरी समाज का सबसे बड़ा त्योंहार, सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। महेश नवमी का पर्व माहेश्वरीयों की, माहेश्वरीयों के वंशदेवता भगवान महेशजी और आदिशक्ति देवी पार्वती के प्रति पूर्ण श्रद्धा और भक्तिभाव को प्रकट करता है।


know-about-the-kuldevata-kuldevi-and-vanshdevata-of-maheshwaris-on-mahesh-navami-info-by-maheshacharya-premsukhanand-maheshwari

जानिए, माहेश्वरीयों के कुलदेवता और वंशदेवता के बारे में

वंश माने जैसे राजपूत वंश, अग्रवाल वंश, माहेश्वरी वंश, आदि। वंशदेवता एक तरह से प्रधानमंत्री की तरह होते है। वे जिस वंश के वंशदेवता होते हैं वह पूरा वंश उनके अधिकार क्षेत्र में आता है, वे उस समग्र वंश के संरक्षण और भलाई के लिए जिम्मेवार होते है।

कुल माने जैसे जाजू कुल, बाहेती कुल, लड्डा कुल, आदि। हरएक कुल की अपनी अपनी एक कुलदेवी होती है। कुलदेवी/कुलदेवता एक तरह से मुख्यमंत्री की तरह होती हैं। वे जिस कुल की कुलदेवी/कुलदेवता होती है वह पूरा कुल उनके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है, वे उस कुल के संरक्षण और भलाई के लिए जिम्मेवार होती हैं।

माहेश्वरी समाज के संबंध में कहे तो हरएक कुल की कुलदेवी आदिशक्ति देवी पार्वती की अंश स्वरूप है। देवी पार्वती का ही एक रूप है।

हर एक ग्राम (गांव) या नगर (शहर) की भी अपनी अपनी एक देवता होती है उन्हें ग्रामदेवी कहा जाता है। ग्रामदेवी एक तरह से गांव/शहर के मुखिया की तरह होती है। वे जिस ग्राम की ग्रामदेवी होती है उस ग्राम में निवास करनेवाले समस्त जीव/लोग ग्रामदेवी के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। वह उस ग्राम/शहर में निवास करनेवाले लोगों के संरक्षण और भलाई की जिम्मेवार होती है।

माहेश्वरीयों के लिए भी और सभी के लिए भी जितना अपनी कुलदेवी/कुलदेवता की भक्ति और आराधना करना जरूरी है, उतना ही जरूरी है अपने वंश के वंशदेवता की भक्ति और आराधना करना। इसी के साथ, वर्तमान समय में वो जिस गांव या शहर में निवास और कारोबार कर रहे हैं उस गांव/शहर की ग्रामदेवी की भी भक्ति और आराधना करना।
समझने की दृष्टि से कहे तो जैसे भौतिक सरकारें होती है, जैसे की, केंद्र सरकार (मुखिया: प्रधानमंत्री), राज्य सरकार (मुखिया: मुख्यमंत्री) और गावं/शहर का मुखिया वैसे ही वंशदेवता, कुलदेवता और ग्रामदेवता ये दैविक सरकार होती है, जो अपने-अपने अधिकारक्षेत्र के अंतर्गत अपने-अपने कर्तव्य और अधिकार निभाती है।

वंशदेवता, कुलदेवी और ग्रामदेवी इन तीनों की भक्ति और आराधना की जाए तो जीवन को संपन्न- सुखी बनाने में आनेवाली अधिदैविक/आधिभौतिक बाधाएं दूर होकर सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

सनातन धर्म की परंपरा में इन्हीं वंशों को वैष्णव, शैव, शाक्त और गानपत्य के रूप में बताया गया है। प्राधान्य क्रमानुसार वंशदेवता, कुलदेवता और ग्रामदेवता इन तीनों के बाद आप अपने श्रद्धाभाव के अनुसार किसी अन्य देवी-देवता की भी भक्ति और आराधना कर सकते हैं लेकिन वह स्वैच्छिक होता है, उसमें किसी का किसी पर कोई अधिकार या कर्तव्य का भाग या भाव नहीं होता है।

धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के अनुसार आपके जो वंशदेवता, कुलदेवी/कुलदेवता और ग्रामदेवी होते है उनकी मर्जी तथा अनुमति के बगैर कोई अन्य देवी-देवता चाहकर भी आपकी सहायता नहीं कर सकते। इसीलिए वंशदेवता, कुलदेवी/कुलदेवता और ग्रामदेवी इन तीनों की आराधना और भक्ति को प्राधान्यक्रम में सर्वप्रथम रखा जाता है। इन्हे प्रसन्न रखने के लिए आपको बहुत ज्यादा प्रयास भी नहीं करने पड़ते है, ये तो श्रद्धाभाव से किये गए आपके बस थोड़ी सी आराधना और भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते है, आप पर अपनी कृपा और आशीर्वाद बरसाने लगते है।